बिना पैसे दिए कैसे करे खरीद फरोख्त

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आज भारत में कैशलेस(cashless) खरीद फरोख्त पर सरकार बहुत बड़ा अभियान चला रही है परन्तु अभी भी बहुत लोगो को ये समझ नहीं आ रहा है कि वो कैसे बिना नगद के खरीदारी कर सकते है या बिना नगद लिए कैसे बिक्री कर सकते है। अधिकतर लोगो को यही समझ आता है कि कैशलेस खरीद फरोख्त के लिए आपके पास खरीदारी करने के लिए कार्ड और बिक्री के लिए स्वैप मशीन मतलब कार्ड चलने वाली मशीन होनी चाहिए। परन्तु इसके आलावा बहुत से तरीके है जिससे आप बिना नगदी खरीद फरोख्त कर सकते है।
आज हम आपको उन सब तरीको को बताएँगे जिसे आप सभी भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था में मदद कर सकते है।

बैंक कार्ड द्वारा भुगतान करना

ये सबसे ज्यादा उपयोग में लाये जाने वाला तरीका है जो अधिकतर सभी लोगो को पता होता है कि आपके पास बैंक का कार्ड हो तो आप उससे बिना नगदी के भुगतान कर सकते है।
जब आप अपना खाता बैंक में खोलते है तो आपको आपके खाते से कार्ड दिया जाता है। अब ये कार्ड तीन तरह के होते है।

  1. प्रीपेड कार्ड्स (Prepaid Cards)
  2. डेबिट कार्ड्स (Debit Cards)
  3. क्रेडिट कार्ड (Credit Cards)

१. प्रीपेड कार्ड्स (Prepaid Cards)- ये कार्ड्स किसी भी वित्तीय संस्था द्वारा जारी किया जाता है जिसमें से पहले से पैसे डाल कर दिए जाते है मतलब इसमें जितने पैसे होते है आप उतने ही खर्च कर सकते है। इसके लिए बैंक में आपका खाता होना जरुरी नहीं है। आप जितने पैसे देते है उतने ही पैसे आपके कार्ड में दाल दिए जाते है।

२. डेबिट कार्ड्स (Debit Cards)- ये कार्ड्स बैंक आपके खाते के साथ देता है ये कार्ड आपके बैंक खाते से जुड़ा होता है। आप इसको किसी भी तरह की कैशलेस भुगतान के लिए प्रयोग कर सकते है। आपके बैंक खाते के अनुसार इसमें प्रतिदिन पैसे खर्च करने की सीमा होती है। इसके लिए आपके खाते में पैसे होने जरुरी है आप अपने खाते में रखे पैसे से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते है।

३. क्रेडिट कार्ड (Credit Cards)- ये कार्ड्स बैंक अपने ग्राहकों या आपकी आमदनी के अनुसार आपको देता है। इसके लिए जरुरी नहीं के आपके खाते में पैसे हो। इस कार्ड को बनाते समय आपकी आमदनी को देखते हुए इन कार्ड्स में आपको खर्च करने की सीमा दी जाती है जिसका भुगतान आप तय सीमा में कर सकते है। किन्तु जिस समय आप खरीदारी करते है उस समय आप के पास से कोई पैसा नहीं जाता है। अलग-अलग बैंक और अलग-अलग क्रडिट कार्ड्स की पैसे वापिस करने की सीमा अलग-अलग होती है।

यूएसएसडी द्वारा भुगतान करना USSD (Unstructured Supplementary Service Data) based payment

ये मोबाइल बैंकिंग करने का एक तरीका है इसके लिए आपके पास बैंक का खाता होना चाहिए और आपके पास एक चालू मोबाइल जिसमें एक सिम कार्ड हो होना जरुरी है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके लिए आपके मोबाइल में इन्टरनेट का कनेक्शन होना जरुरी नहीं है। आप इसके जरिये पैसे किसी को भी उसके खाते में भेज सकते है, अपने खाते की शेष बची राशि का पता कर सकते है, अपने खाते की छोटी स्टेटमेंट प्राप्त कर सकते है।

इसका एक नंबर होता है जो आपको अपने मोबाइल से डायल करना पड़ता है। नंबर है *99# . ये एक तरह से वही तरीका है जैसे आप अपना मोबाइल का बैलेंस चेक करते है। यह सर्विस आप उसी मोबाइल नंबर से कर सकते है जो आपके बैंक खाते के साथ लिंक यानि रजिस्टर है। लगभग सारे बैंको में जैसे एसबीआई, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, पीएनबी, एक्सिस और बैंक ऑफ़ बरोडा में ये सर्विस है। यूएसएसडी मोबाइल बैंकिंग में क्षेत्रीय भाषा का समर्थन भी है जैसे हिन्दी(Hindi)के लिए(*99*22#), मराठी(Marathi) के लिए(*99*28#), बंगाली(Bengali)के लिए (*99*29#), पंजाबी (Punjabi)के लिए (*99*30#), कन्नड़ (Kannada)के लिए (*99*26#), गुजरती (Gujarati)के लिए (*99*27#), तमिल (Tamil)के लिए (*99*23#), तेलगु(Telugu)के लिए (*99*24#), मलयालम(Malayalam)के लिए (*99*25#), उड़ि‍या(Oriya)के लिए (*99*32#) और असमी(Assamese)के लिए (*99*31#) ये नंबर्स डायल करने पड़ेंगे।

कैसे इस्तेमाल करे-

  1. पहली बात आप उस मोबाइल नंबर से ही ये काम कर सकते है जो आपने अपना बैंक खाता खुलवाते समय बैंक में दिया था मतलब जो आपके बैंक खाते के साथ लिंक यानि रजिस्टर है।
  2. इसके बाद आपको MMID (Mobile Money Identifier) और MPIN (Mobile Pin) मोबाइल पिन की जरुरत पड़ती है जो आपको आपका बैंक देता है।
  3. आपने मोबाइल से *99# डायल करें अगर आपको अपनी भाषा में मोबाइल बैंकिंग करनी है तो ऊपर दिए कोड में अपनी भाषा का कोड देख कर उससे डायल करें
  4. आपको एक वेलकम स्क्रीन नजर आएगा जहाँ लिखा होगा कि अपने बैंक के नाम के पहले 3 अक्षर लिखें या उसके IFSC कोड के पहले 4 अक्षर लिखें या बैंक के कोड के पहले 2 अक्षर लिखें और सेंड कर दें। जैसे आपके बैंक का नाम ICICI है तो आप इस ICI लिख कर भेज सकतें है।
  5. इसके बाद आपको एक लिस्ट मिलेगी जिसमें अलग-अलग सेवाओं के लिए विकल्प होंगे। अब हमें पैसे भेजने हैं तो उसके लिए आपके पास यहाँ पर 2-3 विकल्प आते है। इसमें से MMID वाला विकल्प चुने।
  6. इसके बाद वाले स्क्रीन में आपको जिसके खाते में पैसे भेजने है उसका मोबाइल नंबर डालना होगा उसके बाद उसका MMID नंबर और जितना पैसा भेजना है वो डालना होगा।
  7. इसके बाद आपको अपना MPIN डालना होगा उसके साथ एक स्पेस देकर आपने खाता नंबर के पीछे वाले 4 नंबर डालना होगा। जैसे अगर आपका MPIN है 0909 और आपके बैंक के खाते का नंबर है 001234567879. तो आपको डालना होगा 0909 7879. और भेज देना है।

इस तरह आप USSD के प्रयोग से पैसे किसी के भी बैंक खाते में भेज सकतें है। इसमें एक बार में आप 1 रुपया से लेकर 5000 रुपये तक भेज सकतें हैं।

Unified Payments Interface (UPI) के द्वारा भुगतान करना

UPI एक तुरंत ऑनलाइन भुगतान प्रणाली हैं ये एसएमएस(sms) भेजने जैसे ही सरल तरीका है जिससे आप बैंक से बैंक किसी के भी खाते में पैसे भेज सकते है। इसके लिए आपको जरूरत है आपने बैंक खाते की जानकारी और एक इन्टरनेट की सुविद्या के साथ मोबाइल फ़ोन होना चाहिए।

यह प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) – The National Payments Corporation of India (NPCI) ने बनायीं है। अप्रैल में ये लायी गयी थी परन्तु तब इसके बारे में ज्याद लोगो को पता नहीं था और बैंको ने इसको ज्याद प्रयोग में भी नहीं लाया था परन्तु नवम्बर 8, 2016 को जब सरकार (BJP Govt.) ने 500 और 1000 के नोटों पर रोक लगा कर ऑनलाइन भुगतान प्रणाली पर जोर दिया तो सारे बैंको ने आपने यहाँ इसको प्रयोग में ला दिया। आज लगभग 28 बैंको की एप (APP) आपको मिल जाएँगी। SBI app, PNB UPI, UPI Collect (ICICI), Axis Pay, Canara Bank UPI, UCO UPI, Union Bank UPI, OBC UPI और इसके आलावा 20 और बैंको की एप (app) उपलब्ध है। आप अपने स्मार्ट फ़ोन में ये अपने बैंक की एप डाउनलोड कर सकते है।

कैसे इस्तेमाल करे-

  1. आपको अपने मोबाइल में अपने बैंक की आप डाउनलोड करनी होगी और अपने को रजिस्टर करना होगा। रजिस्टर करने के लिए आपको अपना नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर डालना होगा। इससे आप एक PIN उत्पन्न कर पाएंगे जिससे आप इस आप में लॉगिन कर पाएंगे
  2. अपनी एप APP में सबसे पहले आपको अपना Virtual Payment Address (VPA) सेट करना होगा जो आपकी unique ID होगी। जब कोई आपको पैसे भेजेगा तो उसको आपको ये unique ID देनी होगी या आप किसी को पैसे देंगे तो उसकी unique ID आपको लेनी होगी। तो आपको अपना VPA सेट करना होगा जिसे आप अपने नाम, मोबाइल नंबर से सेट कर सकते है। ये एक तरह से ईमेल आईडी सेटअप करने जैसा है। जैसे yourname@icici, और yourname@hdfc.
  3. इसके बाद आपको अपना M-PIN सेट करना होता है जो पैसे भेजते समय काम आता है।
  4. इस रजिस्ट्रेशन को पूरा करने के बाद अगर आपको किसी को पैसे भेजने है तो अपनी एप से सेंड मनी (Send Money) सेलेक्ट करें। और जिस को पैसे भेजने हैं उसका VPA (Virtual Payment Address) डालें। जितने पैसे भेजने है वो लिखें। फिर आपको पुष्टि करना होगा के सब सही है और फिर अपनी M-PIN डालें तो पैसे तभी ट्रान्सफर हो जायेंगे।

इस तरह आप Unified Payments Interface (UPI) के प्रयोग से पैसे किसी के भी बैंक खाते में भेज सकतें है। इसमें एक बार में आप 1 रुपया से लेकर 100000 रुपये तक भेज सकतें हैं।

डिजिटल वॉलेट (e-wallet) के द्वारा भुगतान करना

ये भुगतान करने का एक नया तरीका है। इसके लिए आपको अपने स्मार्ट फ़ोन में डिजिटल वॉलेट (e-wallet) की एप(APP) डालनी होगी और आपके पास मोबाइल में इन्टरनेट का कनेक्शन होना चाहिए। ये आपके बटुआ जैसा ही है जैसे आप आपने बटुए में पैसे रखते है वेसे ही इसमें भी पहले से पैसे डालने पड़ते हैं।

आज बहुत सी जगह पर इन डिजिटल वॉलेट से भुगतान हो जाता है आपको अपना बटुआ नहीं रखना पड़ता, आपको अपने बैंक के कार्ड्स नहीं ले जाने पड़ते बस आपका मोबाइल ही आपका सब काम कर देता है।
आज बहुत सी एप आप को मिल जाएगी काफी बैंको ने भी अपने डिजिटल वॉलेट (e-wallet) शुरू कर दिए है। जैसेआईसीआईसीआई(ICICI) का Pockets, स्टेट बैंक(State Bank) का Buddy, सिटी बैंक (Citi Bank) का MasterPass, HDFC का chillr और PayZapp, एक्सिस बैंक (AXIS Bank) का Lime हैं। इसके अलावा और भी बहुत से डिजिटल वॉलेट (e-wallet) है जो बहुत प्रयोग किये जा रहे है जैसे
PayTm, Freecharge, MobiKwik, Oxigen Wallet, Citrus Pay, mRupee, Airtel Money,Vodafone M-pesa, PayuMoney और भी बहुत है।

कैसे इस्तेमाल करे-

  1. पहले आपको कोई भी डिजिटल वॉलेट (e-wallet) वाली एप अपने मोबाइल में इनस्टॉल करनी होगी और अपने को उसमें रजिस्टर करना होगा।
  2. आपको अपने डिजिटल वॉलेट (e-wallet) में पैसे डालने होंगे जो आप अपने डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या सीधा नेट बैंकिंग से डाल सकते है।
  3. इसके बाद आप जिसके भी पास ये एप होगी या जिन कंपनियों का इस एप के साथ गठबधन होगा उनका भुगतान इससे कर सकते है।

इन डिजिटल वॉलेट (e-wallet) को प्रयोग करने का एक और फायदा आपको मिलता है ये सभी कंपनियां अपने ग्राहक को बढ़ाने के लिए नए नए ऑफर, बड़ी बड़ी छूट, पैसे वापिस देने वाले ऑफर्स चलते रहते है जिसे आपको अपनी हर खरीद पर फायदा होता है। और एक फायदा आप अपने रिश्तेदारों, अपने बच्चों को, या अपने माता-पिता को जो आप से दूर रहते है एक क्लिक से पैसे भेज सकते है उन्हें बैंक में जाने की जरुरत नहीं है वे भी इन डिजिटल वॉलेट (e-wallet) का प्रयोग करके अपनी खरीद फरोख्त आराम से कर सकते है।

ये सभी तरीको से आप बिना नगदी रखे आपने भुगतान कर सकते है दुकानदार भी इनकी सहायता से अपने पैसे ग्राहक से ले सकते हैं। Source:  Gyaanlok.com

कैशलेस ट्रांजेक्शन में मददगार UPI, इस तरह से अपने मोबाइल को बनाइए बैंक

यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए आप ऑनलाइन तरीके से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें कार्ड पेमेंट, एनईएफटी, आईएमपीएस और डिजिटल वॉलेट का स्थान लेने की क्षमता है।unified-payments-interface

नोटबंदी के बाद से ही देश में कैशलेस ईकोनॉमी को लेकर कावायदें तेज हो गई हैं। रविवार को पीएम मोदी ने भी मन की बात में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और यूपीआई के बारे में बात की। देश में नई पेमेंट क्रांति की शुरूआत होने जा रही है।

जिस यूपीआई का काफी जिक्र हो रहा है उस UPI सर्विस को इसी साल अप्रैल में शुरू किया गया है और अब तक 21 से ज्यादा बैंकों ने यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की शुरूआत नए ऐप लॉन्च करते हुए कर दी है। इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने बनाया है।

यूपीआई पेमेंट सिस्टम को पूरी तरह बदल देगा। इसमें कार्ड पेमेंट, एनईएफटी, आईएमपीएस और डिजिटल वॉलेट का स्थान लेने की क्षमता है। इसका कारण यूपीआई बहुत ही सरल पेमेंट प्रक्रिया है। यूपीआई रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का अविष्कार है।

क्या है UPI

UPI सर्विस इसी साल अप्रैल में शुरू की गई है। यूपीआई यूजर के बैंक अकाउंट से जुड़ा रहता है। इसलिए जब भी आपको कोई ट्रांसेक्शन करना हो तो आपको हर बार जानकारियां नहीं इनपुट करना पड़ेगा। जैसे ही आप यूपीआई के लिए रजिस्टर करते हैं तो आपको एक वर्चुअल आईडी, टीपिन या एमपिन मिलता है, जिससे आप ट्रांजेक्शन्स कर सकते हैं।

इससे आप बिना डेबिट कार्ड के वो सभी काम कर सकते हैं जो डेबिट कार्ड करता है। निजी बैंक जैसे आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और यस बैंक ने तो यूपीआई सुविधा अपने ग्राहकों के लिए शुरू कर दी है। वहीं स्टेट बैंक कैशलेस कामों के लिए बडी ऐप को प्रमोट कर रहा है।

यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए आप ऑनलाइन तरीके से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इसे नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) ने बनाया है और उसका दावा है कि यूपीआई के जरिए आप केवल एसएमएस के जरिए भी रकम ट्रांसफर कर सकते हैं।

मौजूदा सिस्टम में मोबाइल ऐप्स, पेमेंट ऐप्स और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए रकम के ट्रांसफर के लिए IFSC कोड की आवश्यकता होती है। लेकिन यूपीआई का उपयोग करते हुए आप बिना आईएफएससी कोड के भी मनी ट्रांसफर कर सकते हैं। बस आपके पास संबंधित व्यक्ति का मोबाइल नंबर होना चाहिए।

ऐसे करें यूपीआई का उपयोग

यूपीआई का उपयोग करना बेहद ही आसान काम है। इसके लिए सबसे पहले प्ले स्टोर से उस बैंक का यूपीआई ऐप डाउनलोड करें जिसमें आपका खाता है। मसलन आपका खाता एसबीआई में है तो सबसे पहले एसबीआई यूपीआई ऐप डाउनलोड करें।

इसके बाद ऐप को ओपेन करे और सबसे पहले अपना मोबाइल नंबर डालें। नंबर डालने के बाद अपनी पसंद का कोई भी चार अंकों वाला पिन नंबर डालें। यह पिन आपको हर बार ऐप खोलने पर डालना होगा।

इसके बाद आपको यूपीआई ऑप्शन नजर आएगा जिस पर क्लिक करते ही आपको आपका वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) पूछा जाएगा।

वर्चुअल पेमेंट एड्रेस बनाने के लिए अपना नाम या मोबाइल नंबर डालें। फिर अपना बैंक सिलेक्ट करें। जिसके बाद वर्चुअल आईडी आपको बैंक से मिलेगी। अगर आपका मोबाइल फोन नंबर 9876543210 है और और आपका खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में है तो आपका आईडी 9876543210@sbi होगा। अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंक खाते हैं तो सबके लिए अलग आईडी बनाया जाएगा यानी नंबर के अंत में बैंक का नाम।

वर्चुअल आईडी बन जाने के बाद एक नई विंडो ओपन होगी जिसमें आपका बैंक अकाउंट पूछा जाएगा। बैंक चुनने के लिए वहां एक लिस्ट दी गई है।

ऐसे भेजें यूपीआई से पैसा

यूपीआई का उपयोग करते हुए तीन छोटी स्टेप्स में आप किसी के भी खाते में पैसा भेज सकते हैं। इसके लिए आपको अपने वर्चुअल आईडी की जरूरत होगी। वहीं ट्रांसफर लिमिट की बात करें तो इसमें आप 50 रुपए से 1 लाख रुपए तक का ट्रांसफर कर सकते हैं।

पैसे भेजने के लिए ऐप ओपन करें जिसमें आपको सेंड मनी कलेक्ट मनी, रिस्पॉन्ड के अलावा स्कैन क्यूआर कोड जैसे ऑप्शन नजर आएंगे। उसमें से सेंड मनी पर क्लिक करें।

सेंड मनी पर क्लिक करने के बाद ऐप आपसे वीपीए और भेजे जाने वाली रकम के बारे में पूछेगी। जानकारी भरकर नेक्स्ट बटन पर क्लिक करें। इस पर क्लिक करते ही ऐप आपसे कन्फर्म करने के लिए कहेगी, जैसे ही आप उस पर क्लिक करेंगे पैसे ट्रांसफर हो जाएंगे।

ऐप की मदद से ऐसे मंगवाएं पैसे

अगर आप किसी को पैसे भेजने की बजाय मंगवाना चाहते हैं तो यूपीआई एप में सेंड अमाउंट की बजाय कलेक्ट मनी वाले ऑप्शन पर क्लिक करें। जहां आपसे कुछ डिटेल मांगी जाएगी। जिसमें आपका वीपीए और अमाउंट आदि शामिल है। आप चाहें तो भेजे गए पैसे को बाद में कलेक्ट करने के लिए उसे शेड्यूल भी कर सकते हैं। जो कि 10 दिन तक मौजूद है।

इसके बाद पूछी गई जानकारी पूरी होने के बाद कन्फर्म बटन पर क्लिक कर दें। आपके स्मार्टफोन में एसएमएस के माध्यम से उस व्यक्ति को नोटिफिकेशन आएगा जिससे आपने पैसे मांगे हैं। इसे आपको ऐप ओपेन कर वहां वहां कलेक्ट रिक्वेस्ट में डाल कर एंटर करना है।

इसके बाद पे बटन पर क्लिक करें और वहां पूछे जाने वाले चार अंको के पिन नंबर को डालें और सबमिट बटन पर क्लिक करें। जिसके बाद आपको पैसे रिसीव हो जाएंगे।

क्यूआर कोड से पेमेंट

ऐप में क्यूआर कोड दिया गया है जिसे स्कैन करके आप कहीं भी खाने-पीने या शॉपिंग का बिल पे कर सकते हैं। Source jagran.com

मोबाइल इंटरनेट की क्रांति ।

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मोबाइल में इंटरनेट की सुरुवात तो काफी पहले से हो चुकी थी २००५ -०६ में कुछ खास मोबाइलस में इंटरनेट की सुरुवात हो चुकी थी। पर उसका उपयोग ब्राउज़र चलाने में सोशल मीडिया साइट्स ओपन करने और गूगल सर्च में सिमित था। पर इसके बाद जैसे की स्मार्टफ़ोन का अविष्कार हुआ और उसमें विभिन्न प्रकार की एप्लिकेशन्स आई तो मोबाइल का यूज़ करना बहुत ही इंटरस्टिंग होता गया। उसमे इंटरनेट की उपयोगिता बढ़ती गयी । स्मार्टफ़ोन तो एक प्रकार के फ़ोन ही होते हैं परन्तु ये कम्प्यूटर की तरह काम करने की क्षमता रखते हैं।

ये स्मार्टफ़ोन पूर्णत: ओपरेटिंग सिस्टम पर काम करते हैं और बाजार में प्रमुख रूप से ४ तरह के ओपरेटिंग सिस्टम वाले स्मार्टफ़ोन उपलब्ध हैं जैसे एप्पल ओपरेटिंग सिस्टम, एंड्राइड ओपरेटिंग सिस्टम, ब्लैकबेरी ओपरेटिंग सिस्टम और माइक्रोसॉफ्ट ओपरेटिंग सिस्टम । इन ४ तरह के ओपरेटिंग सिस्टम पर आधारित स्मार्टफ़ोन में एंड्राइड ओपरेटिंग सिस्टम वाले स्मार्टफ़ोन सबसे ज्यादा लोगों की पसंद में बने हुये हैं क्युकी इस ओपरेटिंग सिस्टम का उपयोग विभिन्न कम्पनियो की डिवाईस में यूज़ किया जा रहा है जिसमे सैमसंग सबसे बेहतरीन मोबाइल डिवाईस माना जा रहा है। जंहा एप्पल ओपरेटिंग सिस्टम केवल एप्पल कंपनी के डिवाईस में ही यूज़ होता और इनकी कीमत बाजार में दूसरे स्मार्टफ़ोन से अधिक होती है। ऐसे ही ब्लैकबेरी ओपरेटिंग सिस्टम केवल ब्लैकबेरी कंपनी के डिवाईस में ही यूज़ होत । वैसे माइक्रोसॉफ्ट सिस्टम पर आधारित स्मार्टफ़ोन भी लोगो की मनपसंद स्मार्टस्फोन में एक है।

इंटरनेट का इतिहास

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अगर आप जानना चाहते हैं की इंटरनेट का इतिहास क्या है ? तो आपको बता दें की अमेरिकी रक्षा विभाग ने UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स को आपस में नेटवर्किंग करके सन 1969 इंटरनेट की संरचना की थी । उसके बाद 1979 में ब्रिटिश डाकघर ने पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बनाया जिसका उपयोग कर नयी प्रौद्योगिकी का आरम्भ कर दिया। फिर इसके बाद कंप्यूटर तकनीकी में अत्यधिक तेजी से विकास सुरु हो गया। सन 1980 में बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम आईबीएम के कंप्यूटर्स पर लगाने का सौदा तय किया । उसके बाद सन 1984 में एप्पल कंपनी ने कंप्यूटर को ग्राफिक्स, फ़ाइलों और फ़ोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस आदि सुविधा से युक्त कर उस युग का बेहतरीन सफल कम्प्यूटर का निर्माण किया। आज के समय में हम लोग जो अपने बिज़नेस के लिए इंटरनेट वेबसाइटस, वेब पेजेस का उपयोग करते है उसका अविष्कार “टिम बेर्नर ली” ने किया। यह इंटरनेट की दुनिया का एक महान अविष्कार था टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट का संचालन सुविधाजनक करने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब बनाया । गूगल ने सन 1996 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय पर एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो २ साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लग गया उसके बाद 2009 डॉ स्टीफन वोल्फरैम ने “वोल्फरैम अल्फा” लांच किया ।

इस तरह इंटरनेट का इतिहास अत्यधिक रोचक रहा । आज भी लोगों में इसकी और अधिक उन्नत होने लालसा बनी हुई है। इसी कारन इंटरनेट अब न केवल कम्प्यूटर्स में उपयोग किया जा रहा है बल्कि इंटरनेट का उपयोग मोबाइल में भी लगातार बढ़ता जा रहा है ।

 

~ बालेन्द्र सिंह 

जानिये कब भारत में आया इंटरनेट

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वैसे तो भारत में इंटरनेट समान्य लोगो के लिए १५ अगस्त १९९५ में उपलब्ध हुआ परन्तु यह भारत में १९८० में ही आ चुका था जब एर्नेट (Educational & Research Network) ने इंटरनेट की उपलब्धिया भारत सरकार के सामने रखा जिससे सरकार, इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम(UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला और फिर विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की । आपको पता है की उस समय एजुकेशन एंड रिसर्च संस्थाओं का मनना था की भारत में इंटरनेट चलने की संभावना नाम मात्र की है ये माना जा रहा था की अगर दुनिया के जिन देशो में अगर इंटरनेट बंद हो सकता है उसमें भारत भी होगा ।

वैसे तो भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है परन्तु कुछ अन्वेषको का मानना है हाल में आई एक रिपोर्ट ने भविष्य में हमारे यहां इंटरनेट बंद हो जाने की बात को पुख्ता किया है । जिसका कारन भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ग्लोबल आईएसपी) की संख्या घटती हुई संख्या है । भारत में कुल जनसंख्या के १० % लोगों तक इंटरनेट पहुंच चुका है लगभग 121 000,000 लोगो तक, पर दुनिया के सभी इंटरनेट यूजर्स देश में भारत कर हिस्सा 3 फीसदी ही है । भारतीय लोग इंटरनेट का यूज अपनी व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए कर रहें हैं । इंटरनेट से इन सेवाओं में अत्यधिक सुविधा होने के कारण इन सेवाओ के यूजर्स काफी तेजी से बढ़ रहें हैं पर अन्वेषको का मानना है की भारत में इंटरनेट का यूज सबसे ज्यादा पोर्न फिल्में देखने के लिए किया जाता है। वैसे तो समाचार चैनलों और न्यूज़ पेपर ने जब से इंटरनेट में अपना कदम रखा है तब से इंटरनेट में सभी वर्ग के लोगों का रुझान अनेक विषयो जैसे पॉलिटिक्स, इंटरटेनमेंट लोकल न्यूज़, देश विदेश की ख़बरों के लिए बढ़ता जा रहा है । जिसमें  पॉलिटिक्स  में इंटरनेट का यूज़ पिछले २ सालो में अत्यधिक बढ़ा है | फेसबुक और ट्विटर भारतीयों को बहुत भा रहा है जिसमे वो अपने दोस्तों से सम्पर्क बनाये रखने में ,समाचार न्यूज़ पढने और अपनी फोटो इवेंट्स शेयर करने के लिए करते हैं ।

भारत में गाँव गाँव तक इंटरनेट ले जाना काफी मुश्किल काम है परन्तु “डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन” पिछले एक दशक से हर एक गांव और ग्रामीणों को इंटरनेट से जोड़ने और सूचना संपन्न बनाने की कोशिस में लगी हुई है जो की अब तक तकरीबन 560 पंचायतों और 1300 ग्रामीण गैर सरकारी संस्थाओं को ऑनलाइन कर चुकी है ।

~ बालेन्द्र सिंह

कैसे बने कंप्यूटर इंजीनियर ?

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अगर आपको कंप्यूटर इंजीनियर बनाना है तो आपको बीटेक/बीई कंप्यूटर साइंस आदि कोर्स करना होगा जिसके लिए कई राज्य तकनीकी यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय की तकनीकी यूनिवर्सिटी हैं । जिसके लिए आपको निम्न परीक्षा पास करनी होती हैं । जैसे आल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जामिनेशन (All India Engineering Entrance Examination – AIEEE ), MHCET का एक्साम्स महाराष्ट्र प्रदेश में , RPET का एक्साम्स राजस्थान प्रदेश में , MPPET का एक्साम्स मध्य प्रदेश में , UPTU का एक्साम्स उत्तर प्रदेश में, KCET का एक्साम्स कर्नाटक प्रदेश में, TNPCEE का एक्साम्स तमिल नाडु में , WBJEE का एक्साम्स वेस्ट बंगाल में, ‎IIT- JEE का एक्साम्स राष्ट्रीय इस्तर का होता है पर ‎IIT कॉलेजेस सीमित हैं जिन में एडमिशन पाने के लिए आपको अत्यधिक कठिन प्रतियोगिता का सामना करना पड़ सकता है ।

इंजीनिय करने के लिए 4 साल का समय लगता है अगर आप १२ पास होकर दाखिला लेते हैं, अगर आप कंप्यूटर साइंस से बीएससी की है तो ३ साल का समय लगता है या फिर ग्रेजुएशन के बाद 3 साल की एमसीए भी की जा सकता है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की अवधि 3 साल है। एमई/एमटेक कोर्स 2 साल का है।

इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए 50 फीसदी अंक एवं 10वीं परीक्षा में पास होना जरूरी है जबकि बैचलर डिग्री कोर्स, बीई/बीटेक के लिए साइंस में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, और गणित में 50 फीसदी अंक के साथ 12वीं पास होना जरूरी है।

अगर आप इन कॉलेजेस में एडमिशन नहीं पा सके तो भी आपके कंप्यूटर इंजीनियर बनने का सपना खत्म नहीं होता क्योंकि कंप्यूटर खुद में एक संस्था है। ये मज़ाक नहीं है । ये आपके ज्ञान को ज्यादा महत्व देता है न की आपके अच्छे संस्था के प्रमाण पत्र उपाधि का, अगर आपको कंप्यूटर में दिलचस्पी है और आपको लगता है की आप भी कंप्यूटर इंजीनियर बन सकते है तो ध्यान रखिये की कंप्यूटर इंजीनियर बनने के लिए ये स्किल्स होना अनिवार्य है| अगर आप इस क्षेत्र में प्रवेश करने की ठान चुके हैं तो आपके अंदर इसके सीखने की चाहत हमेशा बनी रहनी चाहिए । तार्किक दिमाग, एकाग्रता और रचनात्मक क्षमता होना बेहद जरूरी है। आपकी मैथ्स में पकड़ अच्छी होनी चाहिए । नई तकनीक खबरों की जानकारी रखना एवं अन्य चीजों के प्रति जागरूक होना चाहिये, नये प्रयेाग करने की लालसा और उनको पूरा करने क्षमता आपको एक अच्छा कंप्यूटर इंजीनियर बना सकती है ।

आप अगर चाहें तो कंप्यूटर का बेसिक लेवल कोर्स शुरू कर सकते हैं या फिर “O” लेवल कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। जिससे आप कंप्यूटर चलाना, डाटा एंट्री करना सीख जायेंगे, इसके बाद आप प्रोग्रामिंग की ट्रेनिंग ले सकते हैं , आप इन कंप्यूटर प्रोग्रामिंग “सी, सी प्लस प्लस, जावा, कोबोल ” को सीख कर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में भी जॉब हासिल करने योग्य हो जायेंगे। प्रोग्रामिंग में आपको प्रोग्राम लिखने की, टेस्टिंग करने की, इंप्लिमेंट करने की या यूजर की सहायता करने जॉब आसानी से पा सकते हैं और जैसे ही टेक्नोलॉजी में आप दक्ष हो जाते हैं तो आप कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में सुनहरा भविष्य बना सकते हैं।

अगर आप डोएक के ए लेवल तथा बी लेवल कोर्स करते हैं तो ये ग्रेजुएशन डिग्री के बराबर ही हैं। आप इन कोर्सों में ऑपरेटिंग सिस्टम्स जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट एक्सप्लोरर, फोटोशॉप आदि एप्लीकेशन्स के डेवलपमेंट के बारे में सीखते हैं। अगर आप इनको अच्छी तरह से सीख गए तो आप नई तथा विकसित टेक्नोलॉजी में काम कर सकते हैं। आप अपने के रुचि तथा योग्यता के अनुसार कई अन्य प्रोग्राम्स, लैंग्वेजिज तथा टेक्नोलॉजी सीख सकते हैं तथा करियर संभावनाओं के अनुसार आप सिस्टम एनालिस्ट, सिस्टम प्रोग्रामर, एनालिस्ट प्रोग्रामर, डाटाबेस मैनेजमेंट, नेटवर्किंग, कोडर आदि क्षेत्रों में काम कर सकते हैं।

अगर आप पूरी मेहनत लगन के साथ इस क्षेत्र में समझदारी से डटे रहते हैं तो आप अपना भविष्य बहुत हे बेहतर बना सकते हैं ।

~ बालेन्द्र सिंह

ईमेल से क्या समझते हैं ?

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ईमेल को हम इलॅक्ट्रॉनिक मेल भी कह सकते हैं या कहा सकते है की “ईमेल” इलॅक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रूप है । यह कप्म्यूटर के द्वारा इंटरनेट के माध्यम से पत्र भेजने का एक तरीका है ! आपको पता होगा की इण्टरनेट पर कई मुफ्त ईमेल सेवायें उपलब्ध हैं । जिनकी सहायता से आप अपने सन्देश का आदान प्रदान कर सकते हैं । यंहा पर मै बताना चाहूंगा की कौन कौन सी मुफ्त ईमेल सेवायें उपलब्ध हैं । जी-मेल, याहू-मेल, रॅडिफ़-मेल, हॉट्-मेल, ई-पत्र, सिफ़ी, इण्डियाटाइम्स, जपाक मेल, ए.ओ.ल. मेल. आदि। ये बहुत ही लोकप्रिय हैं और मुफ्त ईमेल सेवाएँ प्रदान करती हैं  ।

आपको ये जानकर खुशी होगी की कई मुफ्त ईमेल सेवाएँ हिंदी को सपोर्ट करती हैं ” तकनीक तरीके से कहे तो अधिकतर नई प-पत्र सेवायें “इण्डिक यूनिकोड” का समर्थन करती हैं । जिससे आप अपना ईमेल हिंदी में लिख कर आसानी से भेज सकते हैं ।

 
~ बालेन्द्र सिंह

बिज़नेस के लिए इंटरनेट की उपयोगिता

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जब इंटरनेट का उपयोग पब्लिक सेवाओं में होने लगा तो लोगो का काम आसान होता चला गया । अब चाहे बैंक का काम हो प्लेन, ट्रैन या बस का टिकट बुक करना हो या फिल्म देखना हो घर बैठे इंटरनेट का उपयोग कर ये काम आसानी से कर सकते हैं । जैसे जैसे इसका तकनीकी ज्ञान और इसके फायदे के बारे में लोगो को पता होने लगा, लोगो ने इसका उपयोग अपने प्रोफेशन, बिज़नेस , व्यापार , दुकानों के लिए करने लगे। लोगो को पता चला इसकी इसके माध्यम से वे अपना बिज़नेस, व्यापार देश विदेश तक फैला सकते हैं । kapisoorr तकनीक कंपनी इसके बारे में बताती है की आप अपने प्रोफेशन, बिज़नेस , व्यापार, दुकान के लिए कैसे इंटरनेट का उपयोग कर न ही राष्ट्रीय इस्तर में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय इस्तर में आगे बढ़ा सकते है । इसके लिए आपको अच्छे डिज़ाइन “वेबसाइट डिज़ाइन” करानी होगी । अगर आपको उत्पादों को बेचना है तो उसके लिए आपको ई वाणिज्य वेबसाइट बनवानी होगी जिसमे आप अपने उत्पादों को अच्छी तरह से वर्णन कर उसकी सही फोटो लगा कर बैंकिंग लेनदेन के सॉफ्टवेयर का उपयोग करना होगा । इस प्रकार आप आसानी से अपने व्यवसाय को अंतर्राष्ट्रीय इस्तर में रख सकते हैं । इसका उपयोग केवल आपके बिज़नेस को अंतर्राष्ट्रीय इस्तर में प्रस्तुत करना मात्र नहीं है ।ये आपके व्यापार को बढ़ा सकने में भी बहुत उपयोगी है । अगर आप आपने बिज़नेस से कई गुना प्रॉफिट कमाना चाहते है तो आपको इसकी इंटरनेट मार्केटिंग करानी होगी जिसे SEO कहते हैं ।

इस प्रकार इंटरनेट आपको आपकी बिज़नेस की न केवल ब्रांडिंग करवाता बल्कि आपके ग्राहकों की संख्या में कई गुना बृद्धि करता है । ऐसे आपको बहुत सारे उदाहरण मिल जायेंगे जिन्होंने अपने बिज़नेस को इंटरनेट की सहायता से अत्यधिक विशाल बना लिया है

 

~ बालेन्द्र सिंह 

इंटरनेट क्या है ?

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अगर आप इंटरनेट शब्द को सुनते होंगे तो आपके दिमाग में सबसे पहले ये आता होगा की इंटरनेट है क्या ? आपको ये तो पता ही होगा की इंग्लिश में नेट (net ) का मतलब होता है जाल । बस जाल से ही आप काफी कुछ समझ गए की सभी कप्यूटर तारो से एक दूसरे से जुड़े होने के कारन, कह सकते हैं की ये इंटरनेट से जुड़े हैं और ये कम्यूटर दूसरे कंप्यूटर से सूचना ले दे सकते हैं । पर अगर इसको तकनीकी रूप से से कहा जाये तो इंटरनेट को अंतरजाल भी कहा जाता है और अंतरजाल को कहते हैं की “यह एक दूसरे से जुड़े संगणकों का एक विशाल विश्व-व्यापी नेटवर्क या जाल है। इसमे कई संगठनो, विश्वविद्यालयो, आदि के सरकारी और निजी संगणक जुडे हुए है। अंतरजाल से जुडे हुए संगणक आपस मे अंतरजाल नियमावली (Internet Protocol) के जरिए सूचना का आदान-प्रदान करते है। अंतरजाल के जरिए मिलने वाली सूचना और सेवाओ मे अंतरजाल पृष्ठ, “ ईमेल ” और बातचीत सेवा प्रमुख है। इनके साथ-साथ चलचित्र, संगीत, विडियो के इलेक्ट्रनिक स्वरुप का आदान-प्रदान भी अंतरजाल के जरिए होता है।”

इंटरनेट का इतिहास बहुत ही रोचक रहा इसकी उपयोगिता को देखते हुए अनेक देसो द्वारा इसको अपनाया जाने लगा भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया! आज इंटरनेट लोगो लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता जा रहा।

~ बालेन्द्र सिंह

कंप्यूटर की उपयोगिता

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कंप्यूटर की उपयोगिता को तो आप जान ही रहे होंगे की आज कल हर जगह इसका उपयोग हो रहा है । आप बैंक देख लो, पोस्ट ऑफ़िस, रेलवे हर जगह। इसका करना ये है की ये हर काम को आसानी से कर लेता है  ! अब आप पूछेंगे की वो कैस जल्दी कर लेता है ! इसका कारन है की इसमें छोटे बड़े जोड़ घटाव से लेकर बड़े बड़े चीजो की माप तौल , गड़ना  करने के लिए  “कम्प्यूटर प्रोग्राम” होते हैं जिनको “कम्प्यूटर इंजीनियर”  बनाते हैं । और ये मिनटों इंटरनेट से जुड़े होने के कारन सूचना  को दूर कंप्यूटर से ले सकता है और भेज सकता है चाहे वो कंप्यूटर देश विदेश के किसी भी कोने में क्यों न हो । इस कारन कंप्यूटर हर काम को बड़ी शीघ्रता से कर देता है ।  इसलिए लोग इसको दैनिक जीवन अपने व्यापार ,पढाई , ऑफिस  कामो के लिए उपयोग करने लगे है । कम्प्यूटर आपके कामो को सरल ही नहीं करता ये आपका “मनोरंजन” भी कर सकता है ! इसमें आप गेम खेल सकते है, गाने सुन सकते हैं , फिल्म देख सकते हैं ।

इस तरह हम कह सकते हैं की कंप्यूटर के इन खासियतों की वजह से इसका उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा । भारत सरकार इसकी उपयोगिता को समझते हुए गाँव शहर में इसका प्रचार प्रसार कर स्कूलों, विद्यालयों में कंप्यूटर मुहैया करा कर कम्यूटर ज्ञान से लाभान्वित करवाने की कई योजनाएं लागू कर रखी हैं ।

मैं आपको अगले आर्टिकल में बताऊंगा हर किसी के लिए भी कप्म्यूटर कैसे उपयोगी हो सकता है | कंप्यूटर का उपयोग कर इंटरनेट के माध्यम से आप, कैसे अपना बिज़नेस बढा सकते है । बिज़नेस के लिए इंटरनेट की उपयोगिता कैसे फायदेमंद है ।

धन्यवाद!

~ बालेन्द्र सिंह